सोच-समझ कर लें इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स
सोच-समझ कर लें इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स

महिलाएं मॉर्निंग- आफ़्टर पिल्स को एक चमत्कारी दवा मानती हैं. हो भी क्यों ना? असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने के 72 घंटों के भीतर एक गोली लेकर कितनी ही महिलाओं ने अनचाहे गर्भधारण से मुक्ति पाई है. इसलिए इस बात पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि पिछले कुछ सालों में इन पिल्स का इस्तेमाल करनेवाली महिलाओं की संख्या में भारी बढ़ोतरी हुई है.
ईसी क्या है?
इमर्जेंसी कॉन्ट्रासेप्टिव पिल्स (ईसी) यानी आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियां, भारत में कई ब्रैंड्स के तहत बेची जाती हैं: आई-पिल, अनवांटेड 72, प्रिवेन्टॉल आदि. इन गोलियों में ऑस्ट्रोजेन या प्रोजेस्टिन या फिर इन दोनों ही हार्मोन्स की बहुत अधिक मात्रा पाई जाती है, जो अन्य गर्भनिरोधक गोलियों में भी कम मात्रा में होती है.
प्यार के पलों में
रुचिका सैनी*, अकाउंट्स एग्ज़ेक्यूटिव, नियमित गर्भनिरोधक गोलियों का सेवन नहीं करती हैं. ऐसे में जब उनके पति कंडोम का इस्तेमाल नहीं करना चाहते, ईसी ही उनका एकमात्र सहारा है. ‘‘कई बार प्यार के पलों की गर्माहट में हम इतना खो जाते हैं कि असुरक्षित संबंध बना लेते हैं. और मैं अभी गर्भधारण नहीं करना चाहती तो मेरे लिए मॉर्निंग-आफ़्टर पिल ही काम करती है. मैं हर माह कम से कम एक बार तो ईसी लेती ही हूं.’’
रुचिका इस तरीक़े को अपने लिए प्रभावी मानती हैं, पर दिल्ली की गायनाकोलॉजिस्ट डॉ इंदिरा गणेशन सावधानी बरतने की चेतावनी देती हैं. ‘‘यदि महिला किसी प्रतिबद्ध रिश्ते में है तब प्यार के पलों में बह जाना, थोड़ा ग़ैरज़िम्मेदाराना है. महिलाएं सुरक्षा का कोई न कोई तरीक़ा तो इस्तेमाल कर ही सकती हैं. ये न केवल प्रेग्नेंसी से बचने के लिए, बल्कि एसटीआईज़ से बचने के लिए भी ज़रूरी है.’’ सुरक्षा न बरतने और फिर ईसी का सेवन करनेवाली महिलाओं की बढ़ती संख्या से डॉ गणेशन चिंतित हैं.
कोई विकल्प नहीं
ये पिल्स एसटीडीज़ से बचाव में बहुत कारगर नहीं हैं, यही वजह है कि डॉ गणेशन ईसी के विवेकहीन प्रयोग से चिंतित हैं. ‘‘इनके विज्ञापन लोगों को भरोसा दिलाते हैं कि असुरक्षित सेक्स संबंधों से निपटने का ये एक आसान तरीक़ा हैं. इनका संदेश है कि अब महिलाओं को असुरक्षित सेक्स संबंधों के संभावित प्रभाव के बारे में चिंता छोड़ देनी चाहिए,’’ कहती हैं डॉ गणेशन. ‘‘पर महिलाओं को ये समझना चाहिए कि इनका प्रयोग केवल तब करें, जब आपके साथ ज़बरन सेक्स संबंध बनाए गए हों या फिर कंडोम फट गया हो. महिलाओं को इस बारे में पता नहीं है कि इसके कई दुष्प्रभाव भी हैं, जैसे-जी मिचलाना, सिरदर्द, तनाव, पेट के निचले हिस्से में दर्द, ब्रेस्ट में दर्द और पीरियड्स के समय ज़्यादा रक्त स्राव होना आदि.’’
ईसी का लंबे समय तक प्रयोग करने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है. ‘‘ईसी को सामान्य गर्भनिरोधक गोलियों का विकल्प न समझें, क्योंकि ये आपके पीरियड्स के चक्र और आपकी प्रजनन क्षमता को भी प्रभावित करती हैं,’’ बताते हैं सेक्सोलॉजिस्ट डॉ महिंदर वत्स.
ईसी का सबसे महत्वपूर्ण दुष्प्रभाव है गर्भधारण. यदि असुरक्षित संबंध बनाने के बाद चिकित्सकीय सलाह लेने में आप 24 घंटे से अधिक का समय लेती हैं या फिर एक से अधिक बार सेक्स संबंध बनाती हैं तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है. netdoctor.co.uk के अनुसार पहले सलाह दी जाती थी कि मॉर्निंग आफ़्टर पिल्स असुरक्षित सेक्स संबंध बनाने के 72 घंटे के भीतर ली जा सकती है, लेकिन शोधों से साबित हुआ है कि इतने लंबे अंतराल के बाद पिल का सेवन बेअसर साबित हो सकता है. अत: डॉक्टर्स अब सलाह देते हैं कि आपातकालीन स्थिति में ईसी का सेवन 24 घंटों के भीतर करें.
*आग्रह पर नाम बदला गया है
बार-बार सॉरी कहना कितना ठीक!

क्या आप बात-बात में ‘सॉरी’ कहने की अभ्यस्त हैं? क्या ‘सॉरी’ वह शब्द बन चुका है, जिसका आपको हर चीज़ के लिए सहारा लेना पड़ता है? शोध बताता है कि ऐसे लोग जो ज़रूरत से ज़्यादा खेद प्रकट करते रहते हैं, दूसरों को अपनी इस कमज़ोरी का लाभ उठाने का अधिकार प्रदान करते हैं. आपके जीवन के किसी भी क्षेत्र में, चाहे वह व्यक्तिगत हो या फिर कार्यक्षेत्र, ज़रूरत से ज़्यादा खेद प्रकट करना एक बहुत उपयुक्त विचार नहीं है. और, यही नियम सेक्स के मामले में भी लागू होता है. इसलिए, अगली बार अगर आप ख़ुद को निम्न में से एक या सभी मामलों में खेद प्रकट करने की स्थिति में पाती हैं तो ‘सॉरी’ कहने के विचार को सिरे से ख़ारिज कर दीजिए.
बीच में ही रोक देने के लिएः सेक्स के मामले में आपको अपना विचार बदलने की छूट है. सहमति के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह वापस ली जा सकती है और यह एक ऐसा फ़ैसला है जिसके लिए आपको कभी खेद नहीं प्रकट करना चाहिए. इसलिए, यदि आप व्यवहार के ज़रिए बीच में ही अपना फ़ैसला बदलती हैं तो यह ठीक ही है.
पहले प्रयास की ओर बढ़नाः जो भी हो, यह 21वीं सदी है. किसने कहा है कि हरेक चीज़ की पहल आपका साझीदार ही करे. इसलिए, अगली बार जब ऐसा-वैसा कुछ करने का मन करे तो अपने अंदर बसी देवी को पहल करने दीजिए. जो मन करे, कीजिए. वर्जना को आड़े मत आने दीजिए. जो कुछ आप चाहती हैं, वह करने को कहने के लिए आपको कभी-भी खेद नहीं प्रकट करना चाहिए.
जो आवाज़ आप निकालती हैंः सेक्स का बहुत उपयुक्त आवाज़ निकालने या बहुत उपयुक्त दिखने से कोई लेना-देना नहीं है. इसलिए यदि आप बहुत तेज़ या फिर बहुत धीमी आवाज निकालती हैं या फिर आपके चेहरे पर कोई ख़ास भाव आते हैं, तो इसको लेकर लज्जित मत हों. आप इन चीज़ों पर जितना ज़्यादा ध्यान केन्द्रित करेंगी, सेक्स का उतना ही कम आनंद ले पाएंगी.
हिदायतें देने के लिएः सेक्स का आनंद लेने में दोनों की भागीदारी होती है, इसलिए अपने साझीदार को यह बताने से पीछे नहीं हटना चाहिए कि आपको कौन-सा व्यवहार आनंदित करता है. खुलकर बताएं और अपने साझीदार को एहसास कराएं कि आप क्या पसंद करती हैं और क्या नहीं पसंद करती हैं. जो भी हो, आनंद लेने में दोनों की भागीदारी होती है.
सुरक्षा उपाय इस्तेमाल करने के लिएः इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि आपका साझीदार कितना ज़ोर देता है या लोग असुरक्षित सेक्स के लिए क्या-क्या कहते हैं, अगर आप बिना सुरक्षा के सेक्स नहीं करना चाहतीं तो मत कीजिए. आप जैसा चाहें, हमेशा वैसा ही करें. जब कभी आप ऐसा कुछ करने को मजबूर हो जाएं, जो आप नहीं चाहतीं तो अपराधबोध से ग्रस्त न हों !
क्या कंडोम से सेक्स का मूड ऑफ़ हो जाता है?

16वीं शताब्दी में यूरोप में लिनेन के बने कंडोम का इस्तेमाल शुरू हुआ. धीरे-धीरे दो शताब्दियां बीतते-बीतते कंडोम जानवरों की खाल से बनाए जाने लगे. पर उस तरह के कंडोम न तो पूरी तरह फ़िट रहते होंगे और न ही आधुनिक कंडोम्स की तरह सुविधाजनक. फिर भी पुरुष और कभी-कभी महिलाएं कंडोम को जोश और मूड ऑफ़ करनेवाला मानते हैं. सेक्सोलॉजिस्ट व काउंसलर डॉ हितेन शाह कहते हैं कि यह एक मिथक है. ‘‘यदि आप अपनी सेक्शुएलिटी के लिए आत्मविश्वास से भरे हैं तो कोई भी चीज़ मूड को समाप्त नहीं कर सकती.’’
आजकल बाज़ार में अच्छी गुणवत्ता वाले कई तरह के कंडोम उपलब्ध हैं, बहुत ही मुलायम से लेकर वाइब्रेटिंग तक, जो अपनी उपस्थिति का पूरा एहसास कराते हैं. अलग-अलग आकार और नाप के कंडोम भी उपलब्ध हैं. पहले अवरोध की तरह समझे जानेवाले कंडोम्स को अब यौनसुख को बढ़ाने का माध्यम समझा जाने लगा है. डॉ शाह कहते हैं,‘‘इतने तरह-तरह के कंडोम्स में से अपने लिए उपयुक्त कंडोम की तलाश भी ख़ुद में एक ख़ूबसूरत अनुभव हो सकता है.’’
सही आकार का कंडोम न चुनने और उसे सही तरीक़े से न पहनने की वजह से ही अक्सर कंडोम मज़ा ख़राब करनेवाला बन जाता है. हर पुरुष को संवेदनशीलता और आकार के अनुसार अलग तरह के कंडोम की आवश्यकता होती है, जैसे-रिब्ड कंडोम कुछ दंपतियों को आनंददायक लगते हैं तो कुछ को अपनी त्वचा पर चुभते हुए. महत्वपूर्ण ये है कि आप अलग-अलग तरह के कंडोम्स का इस्तेमाल कर अपने और अपने साथी के लिए उपयुक्त कंडोम चुनें.
पर सच तो ये है कि कंडोम जोश और उत्तेजना को बढ़ाने का काम करते हैं. इनकी वजह से आप चिंतामुक्त रहते हैं और इसका ल्युब्रिकेंट (चिकनाई) सेक्स के अनुभव को सहज बनाता है. वहीं डॉ शाह कहते हैं,‘‘कंडोम पहनने में जो वक़्त लगता है, यक़ीनन वो आपके फ़ोरप्ले का समय और साथ ही आनंद को भी बढ़ाता है.’’

सेक्स के बारे में आप ये नहीं जानते

जब बात सेक्स से जुड़ी हो तो हम जानते हैं कि आपको बहुत कुछ मालूम है. पर ये तो कुछ ऐसे तथ्य हैं, जिन्होंने हमें भी आश्चर्यचकित कर दिया.
1.गर्मी ज़्यादा फ़ायदेमंद है, क्योंकि कमरा जितना गर्म होगा उतना ही प्रबल होगा आपका ऑर्गैज़्म.
2.बात ऑर्गैज़्म की चली है तो ये भी बता दें कि इसके दौरान होनेवाला संकुचन स्पर्म्स को ऊपर की ओर ले जाता है, ताकि गर्भधारण हो सके. पति के ऑर्गैज़्म के कुछ पल पहले यदि आप ऑर्गैज़्म पर पहुंचती हैं तो गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है.
3.इजेकुलेशन की औसत गति? ४५ किलोमीटर प्रतिघंटा. आपके वेजाइना से मस्तिष्क तक इसकी संवेदना पहुंचने की गति २५१ किलोमीटर प्रतिघंटा. गति के आंकड़े दिलचस्प हैं ना?
4.सिंगापुर की पूर्व पॉर्न स्टार ऐनाबेल चंग, 22, ने 19 जनवरी 1995 को वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया-70 पुरुषों के साथ 10 घंटे के समय में सेक्स संबंधी 251 गतिविधियों में संलिप्त रहकर. दि वर्ल्डस बिगेस्ट गैंग बैंग नामक फ़िल्म में इसे दिखाया गया है. ऐनाबेल का मुख्य उद्देश्य था लिंग संबंधी भूमिकाओं को चुनौती देना और यह साबित करना-‘‘महिला सेक्शुऐलिटी उतनी ही आक्रामक है, जितनी कि पुरुष सेक्शुऐलिटी.’’
5.पैकेट में रखे लैटेक्स कंडोम केवल दो वर्षों तक ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं. हम उम्मीद करते हैं कि आपके सेक्स जीवन में इतने समय में इनका कहीं ज़्यादा उपयोग होता होगा.
6.एसिडिक फल, जैसे-आम, नींबू और संतरे सेक्शुअल फ़्लूइड को मीठा स्वाद देते हैं.
7.सेक्स सुंदर बनाता है. शोधों से पता चला है कि इस दौरान महिलाओं में एस्ट्रोजेन स्रवित होता है, जिससे उनके बालों में चमक आती है, त्वचा कोमल और आभावान नज़र आती है.
8.जितना ज़्यादा सेक्स करेंगी, उतना ज़्यादा पाएंगी. सेक्शुअली सक्रिय शरीर में फ़ेरोमोन्स (सेक्स हार्मोन्स) अधिक स्रवित होते हैं, जो आपको विपरीत लिंगी व्यक्ति के लिए सेक्शुअली आकर्षक बनाए रखते हैं.
9.हम सभी जानते हैं कि औसतन एक पुरुष दिन में छह बार सेक्स के बारे में सोचता है. पर क्या आपको पता है कि वे 24 घंटे में 11 से अधिक बार ऑर्गैज़्म तक पहुंच सकते हैं? क्षमता का आकलन कीजिए ज़रा!
10. आप अपने जीवन के औसत 20,160 मिनट चुंबन में व्यतीत करती हैं. ये हुए 336 घंटे यानी 14 दिन या दो सप्ताह. एक मिनट के चुंबन में दो से पांच कैलोरी ऊर्जा का दहन होता है या यूं कहें कि एक घंटे में 120-325 कैलोरी. देखिए सेक्स तो एक्सरसाइज़ का काम भी कर रहा है.
महिलाएं ऑर्गैज़्म का दिखावा क्यों करती हैं?

अमेरिका की इंडियान यूनिवर्सिटी के सेंटर फ़ॉर सेक्शुअल हेल्थ प्रमोशन द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 85 फ़ीसदी पुरुषों ने कहा कि सेक्स संबंधों के दौरान उनकी महिला साथी ने ऑर्गैज़्म (चरमसुख) का अनुभव किया, जबकि केवल 64 प्रतिशत महिलाओं ने ही इस बात की पुष्टि की कि उन्हें अपने साथी के साथ ऑर्गैज़्म का अनुभव हुआ.
‘ज़्यादातर भारतीय महिलाएं असंतुष्ट हैं’
डॉ विजय नागास्वामी, साइकोथेरैपिस्ट, चेन्नई
‘‘अधिकतर पुरुष ये सोचते हैं कि उनकी सेक्शुअल पार्टनर ने ऑर्गैज़्म का आनंद उठाया है, क्योंकि ऐसा सोचने से उनके अहं की तुष्टि होती है. साथ ही अपने साथी को ख़ुश रखने की चाहत में बहुत-सी महिलाएं ऑर्गैज़्म का दिखावा भी करती हैं. हम ये तो नहीं जानते कि अमेरिकी अध्ययन के दौरान जिन सेक्शुअल संबंधों को उल्लेख किया गया है वो प्रतिबद्घ रिश्तों के थे या तुरत-फुरत बन जानेवाले रिश्तों के. पर यदि ये अध्ययन सही है तो ये प्रतिबद्ध रिश्तों को ही दर्शाता है. प्रतिबद्ध रिश्तों में पुरुष अपनी महिला साथी की संतुष्टि के लिए ज़्यादा प्रयास नहीं करते. जहां तक महिलाओं की बात है तो अधिकतर उस श्रेणी में आती हैं, जो आर्गैज़्म का दिखावा करती हैं. पर कुछ ऐसी भी होती हैं, जो साथी को बताती हैं कि अभी वे ऑर्गैज़्म तक नहीं पहुंची हैं. यदि ये अध्ययन तुरत-फुरत रिश्ते बनाने के बारे में होता तो प्रतिशत में आया यह अंतर (85 व 64) कम होता, क्योंकि वहां दोनों ही संतुष्ट करने का प्रयास करते हैं. यदि यह अध्ययन भारत में हुआ होता तो प्रतिशत का अंतर इससे कहीं ज़्यादा होता, क्योंकि यहां पुरुष उतने उदार भी नहीं हैं और थोड़े अधिक स्वार्थी भी हैं.’’
‘क्यों ज़रूरी है कि दोनों पार्टनर्स का संतुष्टि-स्तर समान हो?’
वरखा चुलानी, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, लीलावती हॉस्पिटल, मुंबई
‘बहुत-से पुरुष ख़ुद को इस बात से आंकते हैं कि उन्होंने कितनी स्त्रियों को दैहिक चरम सुख पहुंचाया. अत: ख़ुद अच्छा महसूस करने के लिए वे सच्चाई को नकार देते हैं और यह सर्वे यही बताता है. ये यह भी बताता है कि महिलाएं ऑर्गैज़्म का दिखावा करती हैं और इस बारे में अपने साथी से कहती हैं कि वे इसे प्राप्त कर रही हैं. यह शायद इस वजह से भी हो कि उन्हें यह बात बताने में शर्म महसूस होती हो कि उन्होंने ऑर्गैज़्म नहीं पाया. ये स्थिति बदल सकती है यदि...
• पुरुष ये समझें कि यह ज़रूरी नहीं कि हर बार सेक्स संबंध के दौरान महिला ऑर्गैज़्म प्राप्त करे.
• महिलाएं यह समझें कि हर बार सेक्शुअल संबंधों में ऑर्गैज़्म तक पहुंचना ही मक़सद नहीं होता.
• पुरुष समझें कि प्यार करने का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि आपको सेक्स संबंधों में कुशलता का सबूत देना होगा.

‘कभी-कभी तो महिलाएं ऑर्गैज़्म के एहसास को जानती ही नहीं हैं’
डॉ गीतांजली शर्मा, मैरिज व रिलेशनशिप काउंसलर, दिल्ली
‘इस शोध से निकले निष्कर्ष सटीक लगते हैं. अक्सर पुरुष नहीं समझ पाते कि उनकी महिला साथी दिखावा कर रही है. आर्गैज़्म तक पहुंचना तब और भी कठिन हो जाता है, जब महिला तनाव में हो, थकी हुई हो या अपने साथी के साथ असहज महसूस कर रही हो या फिर अपने साथी से नाराज़ हो. अधिकतर भारतीय महिलाएं इस स्थिति को स्वीकार कर लेती हैं और अपने साथी से ऑर्गैज़्म तक पहुंचने की इच्छा ही व्यक्त नहीं करतीं. पर एक और बात है, जिसका उल्लेख ज़रूरी है. कई बार महिलाओं को पता ही नहीं होता कि ऑर्गैज़्म का एहसास कैसा होता है. यदि ऐसा है तो उन्हें पता ही नहीं चल पाता कि वे संतुष्ट हो चुकी हैं. यह भी ध्यान में रखें कि ऑर्गैज़्म को इतना बढ़ा-चढ़ा कर प्रस्तुत किया जाने लगा है कि कहीं आप इसके चक्कर में सेक्स का आनंद लेना ही न भूल जाएं.’’
समझें किस के इशारे

छोटा-सा किस
सूखा-सूखा बंद होंठों से किया गया किस गालों पर अच्छा लगता है, वह भी तब जब आप रिश्ते में उनकी दादी लगती हों. मे जो रैपिनी, अंतरंग और सेक्स कॉलम्निस्ट ने HealthNewsDigest.com पर अपने पाठकों को चेताते हुए लिखा था: “यदि आप गाल पर छोटे-से किस को किस मानने लग जाएंगे, तो वह दिन दूर नहीं कि आप एक-दूसरे को पति-पत्नी या प्रेमी के बजाय एक रूममेट लगने लगेंगे.” छोटा-सा किस प्यार या जोश के बजाय केवल स्नेह का संकेत होता है. इसका यह भी मतलब हो सकता है कि वो बात को धीरे-धीरे आगे बढ़ाना चाहते हैं और अब भी रिश्ते को आगे ले जाने के बारे में सोच-विचार कर रहे हैं.
जीभ से संवाद
यदि वे अपनी जीभ का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो समझ जाएं कि वे आपके बारे में और जानना चाहते हैं. “इसमें कोई दोराय नहीं कि फ्रेंच किस जितना उत्तेजक और मादक कोई दूसरा किस नहीं है. सेंसरी इन्फ़ॉर्मेशन की यह अदला-बदली सामनेवाले के कमिटमेंट और कम्पैटिबिलिटी के स्तर के बारे में सांकेतिक इशारे करती है,” कहती हैं कातिया. यदि आप उतनी ही तीव्रता और आवेग के साथ उन्हें किस करती हैं, तो यह संकेत है कि इस रिश्ते में जोश और जुनून हमेशा मज़बूत बना रहेगा.
हल्की-फुल्की छुअन
आंखों और माथे पर किए गए हल्के-से किस को ऐंजल किस कहा जाता है. इससे आपको पता चलता है कि वे हर स्थिति में आपके साथ होंगे. यूके की लाइफ़स्टाइल वेबसाइट लिटल थिंग्स के फ़िल मत्ज़ के अनुसार, जो अपने पार्टनर को ऐंजल किस देता है, उसका मानना होता है कि एक-दूसरे का ख़्याल रखना अहम् है. यह एक अंतरंग अभिव्यक्ति है, जो पार्टनर्स के बीच की दूरी को कम करती है और दोनों के बीच ग़लतफ़हमी के लिए कोई जगह नहीं रखती.
गर्दन पर प्यार की बौछार
गर्दन पर किया जानेवाला किस खुले रूप से आपके लिए उनके जुनून को बयां करता है और हर बार बात को बेडरूम तक ले जाता है. मनिका झा*, कोरियोग्राफ़र, का कहना है,“मैं उस व्यक्ति को एक महीने से डेट कर रही थी. एक दिन हम दोनों मेरे घर पर साथ फ़िल्म देख रहे थे. वह पहली बार मेरे घर आया था, इसलिए हम दोनों थोड़े असहज थे. उसने अपने हाथों से मेरी गर्दन को सहलाना शुरू किया. धीरे-धीरे वह मेरी गर्दन पर किस करने लगा. चूंकि मैं उसे पसंद करती थी, इसलिए मैंने भी उसे आगे बढ़ने दिया. और इस तरह मामला बिस्तर तक पहुंच गया. इस घटना के बाद हम एक-दूसरे के साथ और भी सहज हो गए.”
तर-बतर
यदि वे गीले किसेस से आपको तर कर दें तो अपने क़दम पीछे मत खींच लीजिएगा. शेरिल किर्शेनबॉम ने अपनी किताब द साइंस ऑफ़ किसिंग: व्हॉट आवर लिप्स आर टेलिंग अस में लिखा है, पुरुषों को गीले, खुले मुंह वाले, तर-बतर कर देने वाले किसेस पसंद होते हैं. आमतौर पर ऐसे किस तीव्र शारीरिक संबंध बनाने की ओर इशारा करते हैं. वे सारे रोक-टोक को तोड़कर बेडरूम तक पहुंचना चाहते हैं.
फ़्लर्टिंग के अनूठे रूल्स

हर बार जब भी आप उनसे मिलती हैं, आपके पेट में तितलियां उड़ने लगती हैं, दिल ज़ोरों से धड़कने लगता है और हथेलियां पसीने से तर हो जाती हैं. दुख की बात यह है कि इनमें से कोई भी चीज़ आपके दिल की बात को बयां नहीं करती. चीज़ें और भी मुश्क़िल हो जाती हैं, यदि आप शर्मीली, संकोची स्वभाव की हों, जिन्हें अपनी भावनाएं अभिव्यक्त करना मुश्क़िल लगता हो. लेकिन यदि बिना कुछ कहे, केवल कुछ इशारों से बात बन जाए तो कैसा रहेगा?

हम इंसान बिना शब्दों के संवाद कर लेते हैं. यह बात रोमैंस के मामले में और भी सच्ची साबित होती है. जेफ़री हॉल, असोसिएट प्रोफ़ेसर ऑफ़ कम्यूनिकेशन स्टडीज़, यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैन्ज़स के एक शोध के मुताबिक़,“एक अहम् बात ध्यान में रखनी चाहिए कि फ़्लर्टिंग हमारी दूसरे व्यक्ति के प्रति भावनाओं का ही नतीजा है-जिसे आप आसानी से नहीं रोक सकते. जब आप किसी को पसंद करते हैं और उसके साथ बातचीत करते हैं तो मौखिक या सांकेतिक रूप से आपके व्यवहार में उनके प्रति आकर्षण दिखाई देने लगता है.” यदि आपके दिल में सचमुच कोई भावना पनप रही हो या फिर केवल मस्ती-मज़ाक के लिए आप आगे बढ़ना चाहती हों तो केवल एक शर्मीली मुस्कान, एक नज़र या स्पर्श से आप उन्हें अपनी भावनाओं का एहसास करा सकती हैं.

हालांकि, इसमें भी गड़बड़ होने की संभावना है. कई बार ऐसा भी हो सकता है कि सामनेवाला आपके संकेतों को समझ ही न पाए. जेफ़री, जो द फ़ाइव फ़्लर्टिंग स्टाइल्सः यूज़ द साइंस ऑफ़ फ़्लर्टिंग टू अट्रैक्ट द लव यू रियली वॉन्ट के लेखक हैं, का कहना है,“सामनेवाले की फ़्लर्टिंग को समझने में हम बहुत कच्चे होते हैं. इसकी वजह यह है कि हर इंसान अपनी भावनाओं को अलग-अलग तरीक़े से अभिव्यक्त करता है.”
ख्याति गुप्ता बब्बर, बिहैव्यिरल रिसर्चर, बॉडी लैंग्वेज ट्रेनर और दिल्ली के संतुलन बिहैव्यिरल साइंसेस की संस्थापक, कहती हैं,“आपका लक्ष्य उन्हें यह जताना होना चाहिए कि आप भी उनमें रुचि रखती हैं और रिश्ते को आगे ले जाने के लिए तैयार हैं. ज़्यादातर महिलाएं अपने नॉन-वर्बल कम्यूनिकेशन से यह एहसास ही नहीं करा पातीं कि वे अप्रोचेबल हैं.” इसीलिए हम यहां एक्स्पर्ट्स से बात कर रहे हैं, जो आपको अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से अभिव्यक्त करने के तरीक़े बताएंगे.
आगे की ओर झुकें
सामनेवाले को बिना असहज महसूस कराए, यह उसके क़रीब जाने का एक तरीक़ा है. “जब वे बात कर रहे हों तो आप उनकी ओर झुककर अपनी उत्सुकता अभिव्यक्त कर सकती हैं. यह उन्हें संकेत देगा कि आप उनमें रुचि रखती हैं,” सलाह देती हैं ख्याति. लेकिन वे सतर्क करते हुए कहती हैं कि जब वे आपसे बात करते हुए पीछे की ओर जाएं तो आपको उनकी इस दूरी का सम्मान करना चाहिए.
प्यार से निहारना
भावनात्मक संबंध स्थापित करने के लिए आइ कॉन्टैक्ट बहुत अहम् है. ख्याति के अनुसार,“यदि आपको रोमैंटिक रुचि दिखानी हो तो आप आइ-आइ-चेस्ट के तिकोने में निहार सकती हैं. यानी पहले उनकी आंखों में देखें और फिर नीचे गर्दन की ओर. यदि आपकी उनमें रुचि होगी तो यह अपने आप भी हो सकता है.”
ब्लॉकिंग से बचें
जब आप किसी के प्रति आकर्षित महसूस करते हैं तो आप नहीं चाहते कि आप दोनों के बीच कोई और आए. उदाहरण के लिए रेस्तरां में टेबल पर आपने अपनी कुहनियां रखीं हों और हाथों को बांध रखा हो, तो यह व्यवहार ब्लॉकिंग बिहैवियर में आता है. अपनी बांहों को खुला रखें और कंधों को ढीला छोड़ दें, यह दिखाता है कि आप उनके साथ रिलैक्स्ड महसूस कर रही हैं.
सामने से बात करें
अपने शरीर के सामने यानी आंख, मुंह, गले और ब्रेस्ट्स वाले हिस्से को उनकी ओर कर बात करें. इससे उन्हें संकेत मिलेगा कि आप उनमें रुचि रखती हैं. “जब आप उनसे बात कर रही हों, तो चेहरा, हाथ-पैर सबकुछ ठीक उनके सामने रखें. यह उन्हें महसूस कराता है कि आपका पूरा ध्यान उन पर ही है,” कहती हैं ख्याति.
मुस्कुराएं
उपसाला यूनिवर्सिटी, स्वीडन के शोधकर्ताओं ने पाया कि जब कोई हमें देखकर मुस्कुराता है, तो यह हमारे दिमाग़ के मिरर न्यूरॉन्स को प्रोत्साहित करता है और हम भी उनकी ओर मुस्कुरा देते हैं. डॉ भावना बर्मी, सीनियर कंसल्टेंट साइकोलॉजिस्ट, फ़ोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट, दिल्ली कहती हैं,“मुस्कुराते वक़्त आपकी आंखें जितनी ज़्यादा सिकुड़ेंगी, आपके लगाव का एहसास उन तक उतना ज़्यादा पहुंचेगा.”
दूरी को पाटें
आप प्रॉक्सिमिक्स के प्रिंसिपल्स का इस्तेमाल कर सकती हैं. यह एक तरह का अध्ययन है, जो बताता है कि किस तरह इंसान आपसी दूरी का इस्तेमाल कर अपनी रुचि अभिव्यक्त करते हैं. ख्याति कहती हैं,“आमतौर पर जब हम किसी के भी पर्सनल या सोशल ज़ोन में आते हैं, बातचीत के दौरान उस व्यक्ति से हमारी दूरी 1.5 से 7 फ़िट तक होती है. लेकिन यदि आप उन्हें यह संकेत देना चाहती हैं कि उनमें आपकी विशेष रुचि है तो आप इस दूरी को और कम करने का प्रयास करें. दरअस्ल, जब हम किसी के इंटिमेट ज़ोन में होते हैं, तो हमारे चेहरों के बीच की दूरी लगभग 18 इंच होती है.”
हल्के से छुएं
स्पर्श से आपके भीतर ऑक्सिटोसिन नामक केमिकल रिलीज़ होता है, जो कि बॉन्डिंग को प्रोत्साहित करता है. अपनी रुचि दिखाने के लिए बात करते हुए हल्के से उनके हाथों को थपथपाएं या छुएं. “आप बांहों की ओर जितना ज़्यादा ऊपर की ओर जाएंगी, आपका स्पर्श उतना ज़्यादा अंतरंग होगा,” कहती हैं डॉ बर्मी.
सही और सच्चे ढंग से नकल करना
मिररिंग एक सोशल प्रक्रिया है, जहां लोग एक-दूसरे के पॉश्चर, हाव-भाव और शब्दों की नकल करते हैं. अक्सर यह अनजाने में किया गया व्यवहार है. जब आप अपने पार्टनर की गतिविधियों को दोहराते हैं तो इसका मतलब होता है कि आप उनके साथ एक लय में हैं. “मिररिंग दोनों के बीच कम्फ़र्ट, खुलापन, भरोसा और तालमेल बिठाने का तरीक़ा है,” कहती हैं डॉ बर्मी.
उनको जानें
अब आपने प्यार के सारे इशारे सीख लिए हैं, लेकिन क्या वे भी आपको पसंद करते हैं? ख्याति हमें सामनेवाले की बॉडी लैंग्वेज यानी हाव भाव को समझने का तरीक़ा बता रही हैं.
अल्फ़ा क्रॉस
यदि वे पैर क्रॉस कर आपके सामने बैठते हैं, जिससे उनका ग्रॉइन (पेट और जांघ के बीचवाला हिस्सा) आपको दिखता है, तो यह इशारा है कि वे भी आपमें रुचि ले रहे हैं. यह पौरुष दिखाने का हल्का-फुल्का अंदाज़ है.
फैलकर बैठना
पुरुष, जब किसी के प्रति आकर्षित होते हैं तो अधिकार जताने लगते हैं. यदि आप पुरुष को दूसरी कुर्सी पर बांहें फैलाते हुए या अल्फ़ा क्रॉस करते हुए देखें तो समझ जाएं कि वे अधिकार जता रहे हैं.
ख़ुद को संवारना
पुरुष ख़ुद को संवारने लगते हैं, उदाहरण के लिए उस महिला के सामने आते ही अपनी टाइ एडजस्ट करना और बाल बनाना.
हल्का-फुल्का स्पर्श
सौम्य स्पर्श पर नज़रें गड़ाए रखें, वे हल्के हाथों से आपकी बांहों या पीठ के निचले हिस्से को छुएंगे. यह आपके प्रति उनका लगाव अभिव्यक्त करता है और बताता है कि वे आपके साथ कम्फ़र्टेबल हैं.
यूं उठाएं शावर सेक्स का लुत्फ़

यदि आपको रिसर्च पर विश्वास है तो यक़ीन करें सेक्स करने के लिए बाथरूम काफ़ी पसंद की जानेवाली जगह है. वर्ष 2014 में ड्यूरेक्स द्वारा आम अमेरिकन्स की फ़ैंटसी और वास्तविक ऑर्गैज़्म के अनुभव को समझने के लिए 1,000 लोगों पर किए गए एक सर्वे के अनुसार 54 प्रतिशत लोगों ने स्वीकारा कि शावर सेक्स ने उन्हें संतुष्टि दी है. यदि आप भी इस अनुभव का खुलकर आनंद उठाना चाहती हैं, तो इन टिप्स को पढ़ें और तैयार हो जाएं बिन मौसम की बरसात में भीगने के लिए.
फ़्लैक्सिबल रहें
शावर सेक्स का मुरीद बनने के लिए आपको थोड़ी तैयारी और वर्कआउट करने की ज़रूरत है. “शावर सेक्स को उम्दा ढंग से करने के लिए दोनों को योग एक्स्पर्ट्स की तरह लचीला होना चाहिए. एक-दूसरे के शरीर को सपोर्ट करने के लिए आपके शरीर के ऊपरी और निचले हिस्से का मज़बूत होना ज़रूरी है,” कहते हैं मिलन वोहरा, भारत के पहले मिल्स ऐंड बून (ब्रिटिश रोमैंटिक बुक सिरीज़) लेखक.
कमाल की ऐक्सेसरीज़
बाज़ार में ख़ासतौर पर डिज़ाइन की गई ऐसी शावर ऐक्सेसरीज़ उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल शावर सेक्स को सुरक्षित बनाता है. न फिसलनेवाले मैट्स, सिंगल लॉक वाले सक्शन फ़ुटरेस्ट्स और सिंगल और ड्यूअल-लॉकिंग सक्शन हैंड्ल्स कपल्स को अलग-अलग पोज़िशन्स आज़माने का मौक़ा देते हैं. इनकी मदद से बाथरूम में फिसलने का जोख़िम भी कम हो जाता है.
पानी का पारा
पानी के तापमान पर दोनों की एक राय, हो सकता है, बहुत मामूली-सी बात लगे, लेकिन ऐसा न होना कई मामलों में आगे बढ़ने में रुकावट पैदा करनेवाला मुद्दा बन जाता है. इरोटिका लेखक स्कार्लेट ग्रे कहती हैं,“मैं और मेरे पति अपने रिश्ते में रोमांच भरने के लिए उत्सुक रहते हैं. एक दिन मेरे पति ने शावर के नीचे जाकर पहल की. मैं भी अपने कपड़े निकालकर शावर के नीचे जैसी ही पहुंची, मेरी चीख निकल पड़ी! उस दिन मुझे पता लगा कि मेरे पति को बहुत ज़्यादा गर्म पानी से नहाने की आदत है.”
कहीं बहक न जाएं
बहुत संभव है कि आप उस पल में बहक जाएं और प्रोटेक्शन लेना भूल जाएं. वैसे आपको पता होना चाहिए कि कंडोम शावर में ख़राब भी हो सकता है. “लूब्रिकेंट्स के लिए साबुन या शावर जेल का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, क्योंकि इससे जलन पैदा हो सकती है. सिलिकॉन बेस्ड लूब्रिकेंट्स या वेजेटेबल ऑयल का इस्तेमाल करें,” कहते हैं डॉ नंदकिशोर शापुर कमलाकर, सीनियर कंसल्टेंट, यूरोलॉजी, कोलम्बिया एशिया हॉस्पिटल्स, बैंगलोर.
कोशिश करें
यदि आप शावर सेक्स के लिए तैयार नहीं हैं तो शावर के नीचे रोमैंटिक होकर लव हार्मोन्स को जगाएं. “बेडरूम में बात को आगे ले जाएं और फिर वापस शावर में जाकर सुस्ताएं,” कहते हैं मिलन.
गर्माहट को बढ़ने दें
“पानी लुत्फ़ को बढ़ाने वाला एक बड़ा ज़रिया है,” कहते हैं डॉ कमलाकर. वे आगे जोड़ते हैं, यदि आप ट्रायल-ऐंड-एरर के लिए तैयार हैं तो शावर सेक्स काफ़ी मज़ेदार हो सकता है.
यहां कुछ ऐसी पोज़िशन्स हैं, जो आपको आज़माने चाहिए.
1. एक पैर का सहारा
खड़ी रहें और एक पैर स्टूल या टब के किनारे पर रखें. आपके पार्टनर आपके सामने या पीछे की पोज़िशन ले सकते हैं और आपके हिप्स को थामकर आनंद उठा सकते हैं.
2. दीवार की मदद
शावर वॉल की ओर चेहरा रखकर हाथों को दीवार पर टिका दें और पानी की रिमझिम बौछार के बीच अपने पार्टनर को पीछे से आने कहें. उन्हें आसानी से प्रवेश करने का मौक़ा देने के लिए अपनी पीठ को सही ऐंगल में झुकाएं.
3. दिलचस्प सवारी
अपने पार्टनर के हिप्स पर चढ़ जाएं और अपनी बॉडी को सपोर्ट देने के लिए दीवार की ओर झुकें. आप चाहें तो सपोर्ट के लिए टॉवेल रॉड या वॉल क्लैम्प का इस्तेमाल कर सकती हैं. चूंकि इस पोज़िशन में आप दोनों का चेहरा एक-दूसरे की ओर है तो क्लाइमेक्स तक पहुंचने पर किस कर सकते हैं.
4. फ़र्श का साथ
फ़र्श पर सामने की ओर पैर फैलाकर बैठ जाएं और अपने पार्टनर को भी यूं ही पैर फैलाने कहें. इस पोज़िशन में ज़्यादा सपोर्ट मिलता है और आप चाहें तो दीवार का भी टेक ले सकती हैं.
एक रोमांचक यात्रा...अकेले!

आस्कमेन डॉट कॉम के एक सर्वेक्षण के नतीजों के मुताबि्क़ 84 प्रतिशत पुरुषों ने स्वीकार किया कि वे मास्टबेशन करते हैं. हालांकि महिलाओं से संबंधित इस आंकड़े का थोड़ा कम होना तो अपेक्षित था, पर हमें जिस बात ने चौंकाया वो ये कि महिलाओं के लिए यह आंकड़ा केवल १० प्रतिशत ही था. इस तथ्य के मद्देनज़र तो ये और भी अचरज भरा था कि मास्टबेशन के ज़रिए महिलाओं को सबसे सशक्त ऑर्गैज़्म (चरम-सुख) प्राप्त होता है. फिर हम इसे ज़्यादा क्यों नहीं करते? ‘‘मास्टबेशन एक मशीनी प्रक्रिया है,’’ यह कहना है वंदना सग्गू का. ‘‘इसमंि स्नेह तो शामिल है ही नहीं. सारी बात सिर्फ़ ऑर्गैज़्म तक ही सीमित है. और महिलाएं प्यार चाहती हैं. उनके लिए ऑर्गैज़्म उतनी अहमियत नहीं रखता.’’ वंदना के तर्क में दम तो है, लेकिन फ्रॉयड का मानना है कि युवा होती लड़कियां मास्टबेशन को अपने उन निराशाजनक अनुभवों से जोड़कर देखती हैं, जो पुरुषों के जननांगों से ख़ुद के जननांगों की तुलना करने पर उन्हें हुए थे. पर हम इस बात से इत्तफ़ाक नहीं रखते.
यौन रोग विशेषज्ञ डॉ राजन भोसले के अनुसार, संभव है कि मास्टबेशन करनेवाली महिलाओं की संख्या कहीं ज़्यादा हो, पर वे इस बारे में चर्चा न करना चाहती हों. मेरी गर्लफ्रेंड्स के बीच अचानक किए गए एक सर्वे में इस सच्चाई की पुष्टि भी हुई. जिन्होंने स्वीकार किया कि वे मास्टबेट करती हैं, उनमें से एक हैं ग्राफ़िक डिज़ाइनर कृतिका. ‘‘मुझे अचानक ही इस बारे में 13 वर्ष की उम्र में पता चला और मैं तब से ये करती हूं,’’ यह बताते हुए वो खुलासा करती हैं,‘‘पहले-पहल, मुझे इसके लिए ग्लानि हुई. पर बड़े होने पर धीरे-धीरे मुझे एहसास हुआ कि ये तो सेक्शुअल ऊर्जा को तृप्त करने का स्वस्थ तरीक़ा है.’’ डॉ भोसले मानते हैं कि बदलाव आया है. ‘‘महिलाएं इस बारे में चर्चा भले ही न करें, पर अब स्वीकारोक्ति बढ़ी है. मेरी कई महिला मरीज़, जिनमें आम महिलाओं से लेकर विख्यात शख़्सियतों तक का समावेश है, इस बारे में चर्चा करने से नहीं हिचकतीं.’’
यदि सशक्त ऑर्गैज़्म की प्राप्ति भी आपको इसके लिए नहीं उकसाती तो मास्टबेशन के कुछ अन्य फ़ायदों पर भी ग़ौर फ़रमाइए.
इससे गर्भाशय के कैंसर का खतरा घटता है
जोन ऐलिसन रॉजर्स ने अपनी क़िाताब इन सेक्स: अ नैचुरल हिस्ट्री में टेंटिंग की प्रक्रिया को समझाया है-जब ऑर्गैज़्म के दौरान गर्भाशय हाथी की सूंड़ की शक्ल ले लेता है. इसके भीतर मौजूद म्यूकस फैलता और सिकुड़ता है, जिससे गर्भाशय में मौजूद तरल पदार्थ की अम्लता बढ़ती है. इससे मित्र-जीवाणुओं (फ्रेंडली बैक्टीरियाज़) की संख्या बढ़ती है और यह तरल पदार्थ गर्भाशय से वेजाइना की ओर आ जाता है. जब गर्भाशय से ‘पुराना’ तरल पदार्थ बाहर आता है तो यह उन संक्रामक जीवाणुओं को भी अपने साथ बाहर ले आता है, जो इन्फ़ेक्शन फैला सकते हैं.

इससे पीएमएस के लक्षणों में राहत मिलती है
कामोत्तेजना के दौरान महिला के शरीर से ऑक्सिटोसिन नामक रसायन स्रवित होता है, जो प्राकृतिक दर्द-निवारक का काम करता है.
इससे सेक्स अनुभव बेहतर बनता है
मास्टबेशन के ज़रिए आप अपने शरीर को जान सकती हैं, यह समझ सकती हैं कि सेक्स के दौरान आप अपने साथी से क्या चाहती हैं. इसके अलावा अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ़ ऑरेगन के एक शोध के दौरान पाया गया है कि मास्टबेशन महिलाओं के सेक्शुअल-डिस्फ़ंक्शन के इलाज में भी कारगर है. और सबसे अच्छी बात कि ये सुरक्षित सेक्स का सबसे बढ़िफया तरीक़ा है!
अपने शरीर को जानिए
अपनी क्लिटोरिस को स्वयं उत्तेजित कर मास्टबेशन किया जाता है. हालांकि यह वास्तव में 3.5 इंच लंबी होती है, पर इसका काफ़ी छोटा हिस्सा ही हम देख सकते हैं. यहां तक़रीब 8,000 नाड़िंयों का अंत होता है इसलिए यह हिस्सा स्पर्श के प्रति बहुत संवेदनशील होता है. वर्ष 2007 में ड्यूरेक्स के द्वारा कराए गए एक शोध में सामने आया है कि 13 प्रतिशत शहरी महिलाएं वाइब्रेटर्स का इस्तेमाल करती हैं.
स्पर्श के ज़रिए कीजिए, अपने पार्टनर से बात

कभी-कभी दिनभर का तनाव व थकावट आप पर इस कदर हावी हो जाता है कि आप अपने पार्टनर के साथ सेक्स के मूड में नहीं होते. ऐसे में एक-दूसरे की पीठ की मसाज तनाव कम करती है और शरीर के सभी ज़रूरी हिस्सों में रक्त संचार को बेहतर बनाती है. यहां दिए जा रहे आसान टिप्स अपनाएं और फिर देखें कमाल.
माहौल बनाएं
आरामदेह और शांत माहौल आप दोनों के मूड को दुरुस्त करेगा. इसलिए रौशनी हल्की करें, मन-पसंद संगीत लगाएं और एरोमेटिक एसेंशियल ऑयल्स तैयार रखें.
धीमे-धीमे बढ़ें
धीमे-धीमे उन्हें स्पर्श का एहसास कराएं. उनकी उत्तेजना बढ़ेगी. वैसे भी मसाज में जल्दबाज़ी से आनंद की अनुभूति नहीं होती, ख़ासकर तब, जब एक ख़ास तरह के स्पर्श का अहसास कराना हो. इसलिए पार्टनर को स्पर्श करते समय उनकी प्रतिक्रिया का जायज़ा लें और स्पर्श को धीमा और हल्का रखें.
स्पर्श के ज़रिए बात
सेक्सोलॉजिस्ट डॉ प्रकाश नानालाल कोठारी कहते हैं,‘‘त्वचा शरीर का सबसे बड़ा सेंशुअल हिस्सा है.’’ वे बताते हैं कि स्पर्श के समय हमारी त्वचा ऑक्सिटोसिन हार्मोन रिलीज़ करती है, जिसे लव हार्मोन भी कहते हैं. ‘‘जब दंपति एक शारीरिक समीपता जैसी स्थिति में पहुंचते हैं, तो वे एक-दूसरे को संकेत देते हैं कि वे शरीर के किस हिस्से पर स्पर्श चाहते हैं.’’ इसलिए अपने पार्टनर के शरीर की भाषा समझें और हल्के-हल्के उनके कंधे व बांह की मालिश करें. उनकी पीठ या फिर गर्दन के पीछे की ओर गोलाकार मालिश करें. फिर पैर की ओर आएं. हल्का-सा टीज़ करें और धीरे-धीरे ज़्यादा नाज़ुक हिस्सों पर फोकस करें. कुछ ही पलों में आपको उनके रोमांच से भरने का एहसास होगा.
ध्यान से सुनें
कलाई, उंगली, कान, गर्दन के पीछे का हिस्सा, और कुहनी व घुटने के पीछे जैसे नर्व्स की अधिकता वाले हिस्सों पर फोकस करें. किस या मसाज के ज़रिए इनमें हलचल पैदा करें. आपके पार्टनर को यह अच्छा लगेगा, क्योंकि सेक्स के दौरान अक्सर ये अंग उपेक्षित रह जाते हैं. 31 साल की श्रुति रमन* बताती हैं,‘‘शुरू में जब मेरे बॉयफ्रेंड ने मालिश शुरू की तो मैं इतनी थकी हुई थी कि कोई प्रतिक्रिया ही नहीं दे पाई. लेकिन, धीरे-धीरे मेरा शरीर आराम महसूस करने लगा. चूंकि उसे मेरे शरीर के सभी संवेदनशील हिस्सों की जानकारी थी, इसलिए जल्द बात बनने लगी.”
इस ओर भी ध्यान दें
मालिश के लिए अरोमा थेरैपी ऑयल्स इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन शुद्ध एसेंशियल ऑयल्स इतने तेज़ होते हैं कि रक्त-धमनियों में प्रवेश कर सकते हैं. इसलिए इन्हें जोजोबा, नारियल या बादाम के तेल के साथ डाइल्यूट करें. 27 साल की लीला अमन* कहती हैं,‘‘मुझे अच्छा लगता है, जब मेरे पति मसाज के लिए बने खास सेंशुअल ऑयल्स प्रयोग करते हैं. इनका सिरहन पैदा करने वाला प्रभाव पूरे अनुभव को बेहतर बना देता है.’’ वैसे तो ज़्यादातर लोगों को लैवेंडर व पेपरमिंट ऑयल से दिक़्क़त नहीं होती. फिर भी यदि आप गर्भवती हैं, तो एकबार डॉक्टर की सलाह ज़रूर लें.
हॉट स्पॉट्स
अगर आप समझ नहीं पा रही हैं कि कहां से शुरू करें तो यहां बताएं जा रहे कुछ हिस्सों पर ख़ास ध्यान दें.
हाथ: उनकी हथेलियों पर हल्के से उंगलियां फिराएं.
पीठ: रीढ़ के निचले हिस्से पर प्यार से स्पर्श करें. ऐसा करना उन्हें अच्छा लगेगा.
ऐब्स: ऐब्स की मांसपेशियां आपकी वेजाइनल मसल्स से जुड़ी होती हैं. इस हिस्से पर हल्की-सी मसाज आपको रोमांचित कर सकती है.
ब्रेस्ट: यदि आप मालिश करा रही हैं, तो पार्टनर से आपके ब्रेस्ट के ऊपर और बगल के हिस्से पर मालिश को कहें. आपको सिरहन महसूस होगी.
कूल्हों के पासः कूल्हों और जांघों के बीच की पतली लाइन में ढेरों नर्व्स होती हैं. इस वजह से यह काफ़ी संवेदनशील हिस्सा होता है.
पैर: क्या आपको मालूम है कि किसी के टखने को छूने और चूमने उसे ऑर्गेज्म की प्राप्ति हो सकती है? तो क्यों न शुरुआत कर दी जाए!
* आग्रह पर नाम बदले गए हैं
खाने की चीज़ें, जो बढ़ाती हैं सेक्स की इच्छा

ऑएस्टर, जिनसैंग रूट्स का पाउडर, गैंडे के सींग का पाउडर और कछुए के अंडों में क्या समानता है? यही कि विभिन्न संस्कृतियों में इन्हें कामोद्दीपक यानी सेक्स की इच्छा बढ़ानेवाला माना जाता है. पर दुर्भाग्य से इस बात का कोई प्रमाण नहीं है. इन्हें कामेच्छा बढ़ानेवाला मानने के पीछे सिर्फ़ यही तर्क है कि भौतिक बनावट और ख़ुशबू के चलते कुछ खाद्य पदार्थ सेक्शुअल एहसास को बढ़ा सकते हैं. ऑएस्टर, अंजीर और केले का आकार सेक्शुअल अंगों से मिलता-जुलता होता है अत: इन्हें कामोद्दीपक माना जाने लगा.
सेक्सोलॉजिस्ट डॉ राजन भोंसले कहते हैं,‘‘वे चीज़ें जो आपके दिल (हार्ट) के लिए फ़ायदेमंद हैं, आपकी सेक्शुअल सेहत के लिए भी कारगर होती हैं. बहुत से फलों और दवाइयों के बारे में मान्यता है कि ये कामेच्छा बढ़ाती हैं, पर इस बात का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है.’’

अंजीर: भूरे रंग का यह फल क्लिओपेट्रा का पसंदीदा था, जिन्हें उनकी सुंदरता के लिए जाना जाता है. इतिहास में भी इसे कामेच्छा बढ़ानेवाला माना गया है. अधिकतर कलाकार अपनी न्यूड पेंटिंग्स में जननांगों को ढंकने के लिए अंजीर की पत्तियों को दर्शाते थे. यह फल मिनरल, फ़ाइबर और विटामिन्स से भरपूर होता है.

स्ट्रॉबेरी: सतह दानेदार और ख़ूबसूरत होने के साथ ही इसके भीतर मौजूद बहुत सारे बीजों की वजह से इसे पुराने समय में उर्वरकता से जोड़कर देखा जाता था. लाल रंग और दिल के आकार के कारण यह प्रेम की देवी वीनस का प्रतीक माना जाता था.

केला: नर्म-मुलायम और ८ इंच लंबा. फिर इसे भला कामोद्दीपक क्यों न माना जाता? इसमें पोटैशियम और विटामिन बी प्रचुर मात्रा में होता है, जिससे हमारे शरीर में सेक्स हार्मोन्स का उत्पादन बढ़ता है.

लीची: रसदार गूदेवाले इस फल को भी सेक्स की इच्छा बढ़ानेवाला माना जाता रहा है. शोध के मुताबिक़ जहां इसमें एंटी एजिंग गुण होते हैं, वहीं ये महिलाओं के जननांगों में उत्तकों की क्षति को रोकने में भी कारगर है.

ऑएस्टर: वेजाइना के आकार का होने के कारण रोमन लोग इसे कामोद्दीपक मानते थे. कुछ वैज्ञानिकों का मत है कि इसमें मौजूद ज़िंक और आयरन की प्रचुरता टेस्टोस्टेरॉन का स्तर बढ़ाने में कारगर है.

चॉकलेट्स: वैज्ञानिकों का मानना है कि चॉकलेट्स में मौजूद फ़ेनिथाइलेमाइन नामक केमिकल हमारे अंदर वही एहसास जगाता है, जो हमें तब महसूस होता है, जब हमें प्यार होता है.
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