मोटापा नहीं वेट बढ़ाएं
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मोटापा नहीं वेट बढ़ाएं
‘‘वेट कम करने के अलावा वेट बढ़ाना भी अपने आप में एक चैलेंज है। अगर आप भी वेट बढ़ाने के चैलेंज से जूझ रहे हैं, तो आपको हमारे इन टिप्स पर गौर करना चाहिए, वरना कहीं आप वेट की बजाय मोटापा न बढ़ा लें। प्रस्तु है एक रिपोर्ट...’’
वेट कम करने की कोशिश में तो तमाम लोग जुटे हैं, लेकिन ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो तमाम कोशिशों के बावजूद अंडरवेट हैं। जी हां, सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन वेट बढ़ाना भी वेट कम करने जितना ही मुश्किल माना जाता है। एक न्यूट्रीनिस्ट कहती हैं कि वेट गेन करने के लिए जाने वाले सभी फूड्स में बहुत ज्यादा कैलोरी होती है। इसलिए वेट बढ़ाने की कोशिश में जुटे लोगों को छोटे-छोटे मील लेने चाहिए। वरना एक साथ ज्यादा कैलोरी लेने से उन्हें दूसरी बीमारियां होने का खतरा रहता है। दरअसल, इस तरह उनकी बॉडी में सिर्फ सैचुरेटिड फैट बढ़ता है, जोकि ठीक नहीं है। वेट गेन करने के लिए सबसे सही तरीका मसल गेन का माना जाता है। इसके लिए हाई प्रोटीन डाइट लेने के साथ एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है।
ऐसे बढ़ेगा वेट
-थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ न कुछ खाते रहें। इससे आपकी बॉडी उसे बर्न करती रहेगी और थोड़ी देर में आपको दोबारा भूख लग जाएगी।
- सॉलिड फूड के साथ लिक्विड ना लें (खाने के साथ पानी और दूसरे ड्रिंक)। दोनों के बीच कम से कम 45 से 60 मिनट का ब्रेक होना चाहिए।
-उठने के पहले घंटे में ही कुछ न कुछ जरूर खा लीजिए। इससे आपकी बॉडी का मेटाबॉलिज्म जल्द शुरू हो जाएगा और आपको जल्दी-जल्दी भूख लगेगी।
-हफ्ते में तीन से चार बार 20 से 30 मिनट के लिए कॉडिर्यो एक्टिविटी कीजिए।
-हेल्दी फूड मसलन गेहूं की रोटियां, दालें, पास्ता, फ्रूट, वेजिटेबल, प्रोटीन, नट्स और लो डेरी प्रोडक्ट लें। इनसे आपका वजन बढ़ेगा और आप हेल्दी भी रहेंगे।
- चीज वाली डिशेज, उबले हुए एग, केले और लो फैट मिल्क का मिल्क शेक आपको फायदा देगा। इसके अलावा आप मफिन, दही, लस्सी, योगर्ट और फ्रूट्स भी लें सकते हैं।
पेस्टी, केक से बचेंएक हेल्थ कंसलटेंट कहती हैं कि अगर आप अपना वेट बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको अपने खाने में हेल्दी हाई कैलोरी फूड जैसे नट्स, ड्राई फ्रूट्स और प्रोटीन रिच फूड्स शामिल करने चाहिए। लेकिन ध्यान रहे कि साथ में एक्सरसाइज करना न भूलें, ताकि आपको बार-बार भूख लगती रहे। खासकर अगर आप स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करेंगे, तो आपकी मसल्स बेहतर होंगी। कोशिश करें कि वेट बढ़ाने की चाहत में आप ट्रांस फैट वाले आइटम मसलन पेस्ट्री, केक, कुकीज और पैक्ड स्नैक्स न खाएं।
बीमारी के बाद लें प्रो-बायोटिक
अगर बीमारी के दौरान आपका वेट कम हो गया है, तो उसे आप धीरे-धीरे फिर से बढ़ा सकते हैं। जाहिर है, बीमारी के दौरान कम खाने-पीने से आपका वेट कम हो जाता है। लेकिन जैसे-जैसे आप दोबारा खाने-पीने लगते हैं, तो आपका वेट दोबारा बढ़ जाता है। एक मशहूर चिकित्सक कहती हैं कि अगर आपने बीमारी के दौरान बहुत ज्यादा एंटीबायोटिक लिए हैं, तो आपको कुछ प्रो-बायोटिक लेने की भी सलाह दी जाती है।

आप वेट बढ़ाना चाहते हैं?एक ट्रेनिंग एंड न्यूट्रीनिस्ट का कहना है कि अगर आप वेट बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको वर्कआउट की बजाय स्ट्रेंथ ट्रेनिंग पर फोकस करना चाहिए। अगर आप इसके साथ सही डाइट भी लेंगे, तो आपको अपनी मसल्स बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। जाहिर है, अगर आपका वेट मसल्स का साइज बढ़ने से बढ़ता है, तो यह आपके लिए ज्यादा बेहतर आॅप्शन है। ध्यान रहे कि आपको कभी-कभी रनिंग, साइकिलिंग और स्विमिंग भी करनी चाहिए। इससे आपको अपने हार्ट को बेहतर रखने में मदद मिलेगी।
- वेट बढ़ाने के लिए अपनी डेली डाइट में कुछ फ्रूटस जरूर शामिल करें।
-अपने रोजाना चाय-कॉफी पीने के रुटीन को रोजाना दो गिलास दूध से रिप्लेस कर दें।
-केला खाइए या फिर बनाना शेक पीजिए। दोनों ही तरीकों से आपको वेट बढ़ाने में मदद मिलेगी।
-फ्रूट जूस पीने से बॉडी में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाएगा और आपकी कैलौरी इंटेक भी।
-वेट बढ़ाने के लिए आप आलू, कॉर्न, ड्राई फ्रूट, राइस और अंडे जैसे आइटम भी खा सकते हैं।
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छोटा मगर दमदार टिप्स

दांतों का दुश्मन सोडा बचपन से सुनते आई होंगी कि सोडा दांत खराब कर देता है इसको ज्यादा मत पिया करो परंतु अब इस बात की पुष्टि डॉक्टरों ने भी कर दी है। नेशनल हेल्थ एंड न्यूट्रीशन एक्जामिनेशन सर्वे के अनुसार जो लोग दिन में तीन से चार बार सोडा पीते हैं उनके दांतों के खराब होने के चांसेज 62 प्रतिशत अधिक होते हैं। ऐसे व्यक्तियों में दांतों के टूटना, उनके पीलेपन व दांतों में गड्ढे पड़ने की संभावना अधिक हो जाती है।
तनाव से बचें आजकल तनाव या कुंठा होने का कोई सीधा कारण नहीं होता। घर से आॅफिस पहुंचने की चिंता, काम समय पर खत्म करने की चिंता, बस में भीड़-भाड़ की घबराहट या फोन कनेक्ट न हो पाने की चिड़चिड़ाहट बहुत सारी वजहें हैं जो व्यर्थ ही तनावग्रस्त कर देती हैं। इसका असर पूरी दिनचर्या पर पड़ता है। अब जानकारों ने इसका आसान हल बताया है कि अपने गुस्से व गुबार को अंदर दबा न रहने दें, बाहर निकालें। ऐसे काम करें जिससे आप तनाव वाली बातों को भुला सकें जैसे लंबी सैर पर जाएं, किसी मनोरंजक खेल को खेलें या फिर बागवानी में ध्यान लगाएं।
धीरे-धीर और चबाकर करें भोजन
अगर आप मोटापे को लेकर परेशान हैं और अपना वजन कम करने के लिए जिम या हेल्थ सेंटर्स के चक्कर लगाने के अलावा डाइटिंग भी कर रही हैं तो अब आपके लिए एक खुशखबरी है। एक शोध से पता चला है कि घर बैठकर भोजन करते हुए भी आप अपने वजन पर काफी हद तक नियंत्रण रख सकती हैं। इसके लिए बस आपको पहले दस मिनट तक भोजन धीरे-धीरे और चबाकर खाना होगा। इसके तुरंत बाद आपका दिमाग वजन कम करने की प्रक्रिया शुरू कर देगा और आप भूख से अधिक नहीं खाएंगी। इसका नतीजा कुछ ही दिनों में आपके सामने आ जाएगा।

दूर करें दुखद यादों कोअपनी अच्छी व मीठी यादों को याद कर आप अपने खुशगवार पलों को ताजा कर सकती हैं। इससे आपका खराब मूड तो सुधरेगा ही रक्तचाप भी नियंत्रित होगा, ऐसा शोधकर्ताओं का मानना है। जब भी कभी नेगेटिव थिकिंग हावी होने लगे तो प्लेजेंट मेमोरी की मदद लें। कैलिफोनिर्या में हुए अध्ययन के अनुसार ऐसी घटनाओं को सोच कर जिनसे आपका चेहरा तमतमा उठे या गुस्सा आने लगे, आपका ब्लड प्रेशर बढ़ाएगा, दिल का रोगी बनने में भी देर नहीं लगेगी। इसलिए दूर कीजिए उन दुखद यादों को और याद कीजिए खुशगवार पलों को
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हेल्थ टिप्स
-शादी के पहले या बाद बहुत सी लड़कियां वजन बढ़ने के डर से परेशान रहती हैं। आप दिन की शुरुआत नींबू मिले गर्म पानी से करें। सूप या जूस लें। चीनी, आइसक्रीम, पेस्ट्री व जंकफूड आदि न लें। दिन की शुरुआत के लिए ब्रेकफास्ट जरूरी है। लो फैट मिल्क प्रोडक्ट्स लें। पानी की कमी न होने दें। खाने में सलाद बढ़ाएं। अल्कोहॉल व धूम्रपान से दूर रहें। खुद को फिजिकल ऐक्टिविटी बनाए रखें।
-स्मोकिंग करने से ही नहीं बल्कि स्मोकर्स के पास ज्यादा समय बिताने से भी वह सब नुकसान हो सकता है जो टोबैको से होता है। घर में स्मोकिंग करने वाला कोई मेबर हो तो या तो दरवाजे व खिड़कियां खोल दे या छत, बालकनी में जाकर ऐसा करे। कार में फैमिली या बच्चों के साथ हैं तो स्मोकिंग न करें। इससे निकला धुएं में 4000 से ज्यादा केमिकल होते हैं, जो कार के अंदर चिपक जाते हैं।
-महिलाओं को बार-बार झुककर काम नहीं करना चाहिए। खासकर मां बनने के बाद ज्यादा झुकने से कमर में प्रॉब्लम हो सकती है। कमर पर ज्यादा प्रेशर न डालें। कोई ऐसा एक्सर्साइज करें जों आपकी रीढ़ को ठीक रखे। भारी चीज उठाने के लिए तो ज्यादा झुकना हड्डी की बड़ी परेशान दे सकता है। शॉपिंग करते समय ट्रॉली का इस्तेमाल ठीक रहता है, न कि ज्यादा वजनी सामान लेकर घूमना।
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गुणों से भरी गुड़ की भेली
सर्दी के मौसम के खान-पान में गुड़ का अपना महत्व है। यह स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होने के साथ ही स्वादिष्ट भी होता है। सदिर्यों में गुड़ से बनाई गई खास सामग्री बच्चों और बुजुर्गों सबको अच्छी लगती है। इस मौसम में गुड़ का नियमित सेवन करने से सर्दी से होने वाले रोगों से बचा जा सकता है। आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से इन बीमारियों में राहत मिलती है...
- गुड़ के साथ पकाए चावल
- गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा परेशान नहीं करता है।
- जुकाम जम गया हो तो गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर खिलाएं।
- गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
- भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं बनती है।
- पांच ग्राम सौंठ, दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
- गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।
- पांच ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खाने से श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।
- बाजरे की खिचड़ी में गुड़ डालकर खाने से नेत्र-ज्योति बढ़ती है।
- गुड़, सेंधा नमक, काला नमक मिलाकर चाटने से खट्टी डकारें आना बंद हो जाती हैं।
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प्राणों की रक्षा प्राणायाम से
‘‘प्राण+आयाम अर्थात प्राणायाम। प्राण का अर्थ है शरीर के अंदर नाभि, हृदय और मस्तिष्क आदि में स्थित वायु जो सभी अंगों को चलायमान रखती है। आयाम के तीन अर्थ है प्रथम दिशा और द्वितीय योगानुसार नियंत्रण या रोकना, तृतीय- विस्तार या लम्बायमान होना। प्राणों को ठीक-ठीक गति और आयाम दें, यही प्राणायाम है।’’

उक्त सभी को मिलाकर ही चेतना में जागरण आता है, स्मृतियां सुरक्षित रहती है। मन संचालित होता रहता है तथा शरीर का रक्षण व क्षरण होता रहता है। इसी से हमारे प्राणों की रक्षा होती रहती है। उक्त में से एक भी जगह दिक्कत है तो सभी जगह उससे प्रभावित होती है और इसी से शरीर, मन तथा चेतना भी रोग और शोक से? घिर जाते हैं। चरबी-मांस, आंत, गुर्दे, मस्तिष्क, श्वास नलिका, स्नायुतंत्र और खून आदि सभी प्राणायाम से शुद्ध और पुष्ट रहते हैं।
(1)व्यान : जो हवा चरबी तथा मांस का कार्य करती तथा उसी में स्थित रहती है उसे व्यान कहते हैं।
(2)समान : समान नामक संतुलन बनाए रखने वाली वायु का कार्य हड्डी में होता है। हड्डियों से ही संतुलन बनता भी है।
(3)अपान : अपान का अर्थ नीचे जाने वाली वायु। यह शरीर के रस में होती है।
(4)उदान : उदान का अर्थ ऊपर ले जाने वाली वायु। यह हमारे स्नायुतंत्र में होती है।
(5)प्राण : प्राण हमारे शरीर का हालचाल बताती है। यह वायु मूलत: खून में होती है।
वायु की गति : जब हम सांस लेते हैं तो वायु प्रत्यक्ष रूप से हमें तीन-चार स्थानों पर महसूस होती है। कंठ, हृदय, फेंफड़े और पेट। मस्तिष्क में गई हुई वायु का हमें पता नहीं चलता। कान और आंख में गई वायु का भी कम ही पता चलता है। श्वसन तंत्र से भीतर गई वायु अनेकों प्रकार से विभाजित हो जाती है, जो अलग-अलग क्षेत्र में जाकर अपना-अपना कार्य करके पुन: भिन्न रूप में बाहर निकल आती है। यह सब इतनी जल्दी होता है कि हमें इसका पता ही नहीं चल पाता।
हम सिर्फ इनता ही जानते हैं कि आॅक्सिजन भीतर गई और कार्बनडॉय आॅक्सॉइड बाहर निकल आई, लेकिन भीतर वह क्या-क्या सही या गलत करके आ जाती है इसका कम ही ज्ञान हो पाता है। सोचे आॅक्सिजन कितनी शुद्ध थी। शुद्ध थी तो अच्छी बात है वह हमारे भीतरी अंगो को भी शुद्ध और पुष्ट करके सारे जहरीले पदार्थ को बारह निकालने की प्रक्रिया को सही करके आ जाएगी।
तेज प्रवाह से नष्ठ होते हैं बैक्टीरियायदि हम जोर से सांस लेते हैं तो तेज प्रवाह से बैक्टीरिया नष्ट होने लगते हैं। कोशिकाओं की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है ‘बोन मेरो’ में नए रक्त का निर्माण होने लगता है। आंतों में जमा मल विसर्जित होने लगता है। मस्तिष्क में जाग्रति लौट आती है जिससे स्मरण शक्ति दुरुस्त हो जाती है।
न्यूरॉन की सक्रियता से सोचने समझने की क्षमता पुन: जिंदा हो जाती है। फेंफड़ों में भरी-भरी हवा से आत्मविश्वास लौट आता है। सोचे जब जंगल में हवा का एक तेज झोंका आता है तो जंगल का रोम-रोम जाग्रत होकर सजग हो जाता है। सिर्फ एक झोंका। कपालभाती या भस्त्रिका प्राणायाम तेज हवा के अनेकों झोंके जैसा है। बहुत कम लोगों में क्षमता होती है आँधी लाने की। लगातार अभ्यास से ही आंधी का जन्म होता है। दस मिनट की आँधी आपके शरीर और मन के साथ आपके संपूर्ण जीवन को बदलकर रख देगी। हृदय रोग या फेंफड़ों का कोई रोग है तो यह कतई न करें।
नियंत्रित करो सांसे: लोगों की सांसें उखड़ी-उखड़ी रहती है, अराजक रहती है या फिर तेजी से चलती रहती है। उन्हें पता ही नहीं चलता की कैसे चलती रहती है। क्रोध का भाव उठा तो सांसे बदल जाती है। काम वासना का भाव उठा तब सांसे बदल जाती है। प्रत्येक भाव और विचार से तो सांसे बदलती ही है, लेकिन हमारे खान-पान, रहन-सहन से भी यह बदलती रहती है। अभी तो सांसें निर्भर है उक्त सभी की गति पर, लेकिन प्रणायाम करने वालों की सांसे स्वतंत्र होती है। गहरी और आनंददायक होती है। प्राणायाम करते समय तीन क्रियाएं करते हैं- 1. पूरक 2. कुम्भक 3. रेचक। इसे ही हठयोगी अभ्यांतर वृत्ति, स्तम्भ वृत्ति और बाह्य वृत्ति कहते हैं।
(1) पूरक:- अर्थात नियंत्रित गति से श्वास अंदर लेने की क्रिया को पूरक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब भीतर खिंचते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है।
(2) कुम्भक:- अंदर की हुई श्वास को क्षमतानुसार रोककर रखने की क्रिया को कुम्भक कहते हैं। श्वास को अंदर रोकने की क्रिया को आंतरिक कुंभक और श्वास को बाहर छोड़क पुन: नहीं लेकर कुछ देर रुकने की क्रिया को बाहरी कुंभक कहते हैं। इसमें भी लय और अनुपात का होना आवश्यक है।
(3) रेचक:- अंदर ली हुई श्वास को नियंत्रित गति से छोड़ने की क्रिया को रेचक कहते हैं। श्वास धीरे-धीरे या तेजी से दोनों ही तरीके से जब छोड़ते हैं तो उसमें लय और अनुपात का होना आवश्यक है।
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बीमारियों से लड़ने की ढाल है इम्यूनिटी

‘‘किसी विषय को शुरू करने का यह तरीका खराब हो सकता है, फिर भी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को समझने के लिए हम एक मरे हुए इंसान का उदाहरण लेंगे। जब कोई शख्स मरता है, तो कुछ ही समय में तमाम बैक्टीरिया, माइक्रोब्स, वायरस और पैरासाइट्स शरीर पर हमला कर देते हैं और उसे सड़ाना, गलाना शुरू कर देते हैं। अगर कुछ दिनों के लिए छोड़ दिया जाए तो मृत शरीर में केवल कंकाल का ढांचा भर बचा रहेगा, लेकिन जिंदा आदमी के साथ कभी ऐसा नहीं होता। वजह यह है कि जिंदा लोगों में रोग प्रतिरोधक तंत्र (इम्यून सिस्टम) नाम का एक ऐसा मेकनिजम होता है, जो इन बैक्टीरिया, वायरस और माइक्रोब्स को शरीर से दूर रखता है। इंसान के मरते ही उसका इम्यून सिस्टम भी खत्म हो जाता है और शरीर पर हमला करने की ताक में बैठे माइक्रोब्स बॉडी को अपनी गिरफ्त में ले लेते हैं। यानी हमारे शरीर के भीतर एक प्रोटेक्शन मेकनिजम है, जो शरीर की तमाम रोगों से सुरक्षा करता है। इसे ही शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कहते हैं।’’
इम्यूनिटी बढ़ाने के तरीके
1. खानपान
- रोग प्रतिरोधक क्षमता के बारे में सबसे खास बात यह है कि इसका निर्माण शरीर खुद कर लेता है। ऐसा नहीं है कि आपने बाहर से कोई चीज खाया और उसने जाकर सीधे आपकी प्रतिरोधक क्षमता में इजाफा कर दिया। इसलिए ऐसी सभी चीजें जो सेहतमंद खाने में आती हैं, उन्हें लेना चाहिए। इनकी मदद से शरीर इस काबिल बन जाता है कि वह खुद अपनी प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर सके।
- अगर खानपान सही है तो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किसी दवा या अतिरिक्त कोशिश करने की जरूरत नहीं है। आयुर्वेद के मुताबिक, कोई भी खाना जो आपके ओज में वृद्धि करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में मददगार है। जो खाना अम बढ़ाता है, वह नुकसानदायक है। ओज खाने के पूरी तरह से पच जाने के बाद बनने वाली कोई चीज है और इसी से अच्छी सेहत और रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। पचने में मुश्किल खाना खाने के बाद शरीर में अम का निर्माण होता है जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है।
- खानपान में सबसे ज्यादा ध्यान इस बात का रखें कि भूलकर भी वातावरण की प्रकृति के खिलाफ न जाएं। मसलन अभी सदिर्यां हैं, तो आइसक्रीम खाने से परहेज करना चाहिए।
- बाजार में मिलने वाले फूड सप्लिमेंट्स का फायदा उन लोगों के लिए है, जिनकी खानपान की आदतें अजीब सी हैं। मसलन जो लोग खाने में सलाद नहीं लेते, वक्त पर खाना नहीं खाते, गरिष्ठ और जंक फूड ज्यादा खाते हैं, वे अपनी शारीरिक जरूरतों को पूरा करने के लिए इन सप्लिमेंट्स की मदद ले सकते हैं। अगर कोई शख्स सलाद, दालें, हरी सब्जी आदि से भरपूर हेल्थी डाइट ले रहा है तो उसे इन सप्लिमेंट्स की कोई जरूरत नहीं है। बाजार में कोई भी सप्लिमेंट ऐसा नहीं है जिसके बारे में दावे से कहा जा सके कि उसमें वे सभी विटामिंस और तत्व हैं, जो हमारी बॉडी के लिए जरूरी हैं। मल्टीविटामिंस के नाम से बिकने वाले प्रॉडक्ट में भी सभी जरूरी चीजें नहीं होतीं। इसलिए नेचुरल खानपान ही सबसे बेहतर तरीका है।
- प्रोसेस्ड और पैकेज्ड फूड से जितना हो सके बचना चाहिए। ऐसी चीजें जिनमें प्रिजरवेटिव्स मिले हों, उनसे भी बचना चाहिए।
- विटामिन सी और बीटा कैरोटींस जहां भी है, वह इम्युनिटी बढ़ाता है। इसके लिए मौसमी, संतरा, नींबू लें।
- जिंक का भी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में बड़ा हाथ है। जिंक का सबसे बड़ा स्त्रोत सीफूड है, लेकिन ड्राई फ्रूट्स में भी जिंक भरपूर मात्रा में पाया जाता है।
- फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाएं।
- खानपान में गलत कॉम्बिनेशन न लें। मसलन दही खा रहे हैं तो हेवी नॉनवेज न लें। दही के साथ कोई खट्टी चीज न खाएं।
- अचार का इस्तेमाल कम करें। जिन चीजों की तासीर खट्टी है, वे शरीर में पानी रोकती हैं, जिससे शरीर में असंतुलन पैदा होता है। सिरका से भी बचना चाहिए।
- ठंड में शरीर को ज्यादा एक्सपोज न करें। ऐसा करने पर गर्म करने के लिए शरीर को अतिरिक्त मेहनत करनी होगी, जिससे प्रतिरोधक क्षमता कम होती है।
- स्ट्रेस न लें। कुछ लोगों में अंदरूनी ताकत नहीं होती। ऐसे में अगर ऐसे लोग स्ट्रेस भी लेना शुरू कर देंगे तो उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता एकदम कम हो जाएगी। ऐसे लोगों को जल्दी-जल्दी वायरल इंफेक्शन होने लगेगा।
- ज्यादा देर तक बंद कमरे और बंद जगहों पर न रहें। जहां इतने लोग सांसें ले रहे होंगे, वहां इंफेक्शन जल्दी ट्रांसफर होगा। खुली हवा में निकलें और लंबी गहरी सांसें लें।
फिटनेस:
थोड़ा ध्यान और हो जाएंगी फिट
कामकाजी स्त्रियों में यह समस्या बहुत आम है। यदि कुछ बातों पर ध्यान दें तो आप उनसे बच सकती हैं....
जब भी चलें तेज कदमों से चलें।
फुर्ती से काम करें।
जल्दी-जल्दी उठें-बैठें।
अपने घर व आॅफिस से एक स्टॉप पहले उतर जाएं और पैदल चल कर पहुंचे।
एकसाथ भर पेट खाना न खाएं, थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ-कुछ खाते रहना अच्छा है।
एक्सरसाइज के लिए वक्त जरूर निकालें।
कंप्यूटर पर टिकी नजरें हटाएंकुछ लोग दिन भर बैठकर कंप्यूटर के सामने सारा समय बिताते हैं जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हो सकता है। अगर आपके साथ भी ऐसा है तो लगातार एक जगह चिपककर न बैठें, थोड़ी-थोड़ी देर में खड़ी होकर टहलें, हाथ-पैरों को हिलाएं व थोड़ा सा हलका-फुलका व्यायाम भी करें। हर बीस मिनट के बाद दूर जगह पर दृष्टि डालें, नजर टिका कर देखने की कोशिश करें। रोशनी बहुत ज्यादा न रहे, तेज रोशनी आंखों में तनाव पैदा करती है। यदि सीधे इससे बचत संभव न हो तो इसके लिए चमक रहित स्क्रीन अपने मॉनीटर पर लगाएं। बार-बार पलकें भी झपकाएं, यह आंखों की अच्छी एक्सरसाइज है।
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