गर्भावस्था में खानपान
गर्भावस्था में खानपान की अतिरिक्त जरूरत की पूर्ति के लिए लीजिए पौष्टिक आहार

खान-पान पर ही मां और होने वाले शिशु का स्वास्थ्य निर्भर करता है।
एक बार की बजाय छोटे-छोटे भागों में बांटें और धीरे-धीरे खायें।
विटामिन की कमी पूरा करने के लिए दूध, दही, बटर, पनीर खायें।
ब्राउन राइस, दलिया, दालें आपके लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
गर्भवती होने के साथ ही खान-पान पर सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। क्योंकि खान-पान पर ही मां और होने वाले शिशु का स्वास्थ्य निर्भर करता है। यदि खाने में जरूरी पोषक तत्वों की कमी होगी तो कई प्रकार की जटिलतायें हो सकती हैं।

गर्भावस्था के दौरान क्या खायें
गर्भवती होने के बाद एक बार में खाने की बजाय भोजन को छोटे-छोटे भागों में बांटें और धीरे-धीरे लें। इस प्रकार भोजन करना आपके लिए भार भी नहीं लगेगा औऱ आपके एवं आपके बच्चे की पोषण जरूरतें भी पूरी होती रहेगीं। दे सकता है।
अपनी हड्डियों को स्वस्थ रखने औऱ शरीर में कैल्शियम के https://healthtoday7.blogspot.com/बेहतर अवशोषण के लिए विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा का सेवन करें। आप चाहें तो विटामिन डी के सप्लीमेंट ले सकती हैं या फिर जब धूप अधिक तेज नहीं हो तो इसका सेवन करें। धूप का सेवन आपके बच्चे को भी अच्छा लगेगा।
सुनिश्चित करें कि सभी फल और सब्जियां अच्छी तरह से पकाई गई हैं, खाने से पहले भोजन को गर्म कर लें, ताकि फूड पॉइजनिंग की संभावना नहीं रहे। बासी भोजन बिलकुल न खायें।
विटामिन बी की कमी पूरी करने के लिए डेयरी उत्पादों जैसे - दूध, दही, बटर, आदि का सेवन कीजिए।
खाने में ताजी और रंगीन सब्जियों का प्रयोग कीजिए, ताजे फल भी खाइए। इसमें एंटी-ऑक्सीडेंट होता है जो शरीर को बीमारियों से बचाता है।
साबुत अनाज का सेवन कीजिए, साबुत अनाज जैसे - ब्राउन राइस, दलिया आदि आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
विटामिन और कैल्सियम की कमी पूरा करने के लिए सोया मिल्क और पनीर खाइए। इससे आपकी और शिशु की हड्डियां मजबूत होंगी।
विभिन्न प्रकार की दालों का प्रयोग कीजिए, दालों में जिंक आयरन और प्रोटीन भरपूर मात्रा में मौजूद होता है, जो प्रेग्नेंसी के दौरान बहुत जरूरी है।
क्या नहीं करना चाहिए
गर्भावस्था के दौरान या पहले शराब ना पीएं क्योंकि यह ना सिर्फ प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है, बल्कि शिशु के विकास में भी अवरोधक है। अल्कोहल लेने से फीटल अल्कोहल सिंड्रोम का खतरा रहता है, जिसमें गर्भस्थ शिशु की वृद्धि औऱ मानसिक विकास प्रभावित होता है।
कैफीन को किसी भी रूप में इसकी सुरक्षित मात्रा (200 मिग्रा/दिन) से ज्यादा ना लें। कैफीन से गर्भपात औऱ कम वजन के बच्चे के जन्म का खतरा बढता है। इसे लेना पूरी तरह बंद करें या दिन में 200 मिग्रा से ज्यादा ना लें।
कच्चा, आधा पका या बिना पकाया हुआ भोजन ना करें, इससे फूड पॉइजनिंङ हो सकता है।
विटामिन ए की जरूरत से अधिक मात्रा ना लें, क्योंकि इससे शिशु में गंभीर समस्या हो सकती है। विटामिन ए के सप्लीमेंट और लीवर ना लें, क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा मात्रा में विटामिन ए होता है।
धूम्रपान ना करें, क्योंकि यह भ्रूण के विकास में बाधा डालता है।
गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने की कोशिश ना करें। अगर आपका वजन अधिक है तो डाइटिंग करके इसे घटाने की कोशिश गर्भधारण से पहले ही करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान वजन घटाने की कोशिश से आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो सकती है।
इससे आपके शिशु को नुकसान पहुंच सकता है, जिसका परिणाम कम वजन के बच्चे का जन्म या नवजात में पोषक तत्वों की कमी के रूप में सामने आ सकता है।
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